RK श्रीवास्तव ने गरीब किसान के 3 बेटों को बनाया सरकारी अफसर

 

पटना डीवीएनए। बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रुपेश, निकेश और मुकेश की कहानी काफी मोटिवेशनल है।

उनके पिता का नाम जितेंद्र बहादुर स्वरुप है, पैसे के अभाव में जितेंद्र बहादुर के तीनों बेटे गांव के हिन्दी मीडियम स्कूल से पढ़कर 10वीं की परीक्षा पास की। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद वे गाँव से बिक्रमगंज 11वीं, 12वींकी शिक्षा ग्रहण करने आये। महंगी कोचिंग की फीस के बारे में जब इन्हे पता चला तो ऐसे लगा की आगे की अब पढ़ाई करना मुश्किल होगा।

नये दौर की शिक्षा तो हकीकत में काफी महंगी हो गयी है। उसी समय किसी ने इन स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव के बारे में बताया और बोला कि आप लोग उनसे मिलिये वे गरीब स्टूडेंट्स को शिक्षा में मदद कर रहे हैं।

आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि रुपेश स्वरुप, निकेश स्वरुप, मुकेश स्वरुप मेरे संघर्ष के दिनों के प्रारंभिक बैच के स्टूडेंट हैं। जब टीबी की बिमारी के चलते ईलाज के दौरान डॉक्टर ने मुझे घर पर रहकर आराम करने का सलाह दी थी, जब घर पर रहते रहते बोर होने लगा तो स्टूडेंट्स को नि:शुल्क पढ़ना शुरू किया।

अब रुपेश और निकेश एयर फोर्स में देश की सेवा कर रहे हैं। मुकेश एनआईटी सिलचर से बीटेक कर इंजीनियर बना। उसके बाद मुकेश ने GATE QUALIFY कर आईआईटी दिल्ली में पहुँचा। अभी वर्तमान में मुकेश इंजीनियर बन ONGC में ऑफिसर के पद पर कार्यरत है।

सफलता के बाद जितेंद्र बहादुर स्वरुप के बेटे बताते हैं कि कैसे सर पूरी रातभर लगातार हमलोगों को पढ़ाते थे। कब रात से सुबह हो जाता पता ही नहीं चलता था।

आज उनके द्वारा कराई गयी मेहनत की ही देन है कि हम इस उपलब्धि तक पहुंचे। आरके श्रीवास्तव ने कहा आप जैसे स्टूडेंट्स पर काफी गर्व होता है जो अपनी मिट्टी से आज भी जुड़े हैं। आप देश के उन सभी स्टूडेंटस के लिये रॉल मॉडल हैं, जो गाँव में कम सुविधा में रहकर भी पढ़ते हैं और सफलता पाते हैं।

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