
आर.के. सिन्हा
कोरोना काल ने विश्व भर के सभी इंसानों और उद्योग धंधों को तगड़े आघात दिए। अगर बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों की वेतन में कटौती से लेकर नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा, तो तमाम उद्योग घंधे घाटे में बने रहे। उनका उत्पादन और मांग दोनों घटा। यानी स्थिति सबके लिये बेहद कष्टप्रद रही। पर कोरोना रूपी झंझावत के बावजूद भारत का आई.टी सेक्टर मजबूती से सीना ताने खड़ा रहा। इधर नौकरियों से लोग निकाले भी नहीं गए। आई.टी. सेक्टर में तो भारतवर्ष में भर्तियों का दौर ही जारी रहा ।
आईटी सेक्टर के जानकारों की मानें तो बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, नॉएडा, गुडगाँव वगैरह में लगातार आईटी पेशेवरों के लिए नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत के विकास का रास्ता भी अब भारत का आईटी सेक्टर से हो कर गुजरता है।
विकास दर सात फीसद से अधिक
अगर कुछ विश्वसनीय आकड़ों पर यकीन करें तो इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब पांच करोड़ से ज़्यादा लोग देश भर में जुड़े हैं। ये सच में बहुत बड़ा आंकड़ा है। इस सेक्टर की हालिया दशक में औसत विकास दर सात फीसद से अधिक रही है। इससे साल 2025 तक आई.टी. सेक्टर का राजस्व 350 अरब डॉलर होने की सम्भावना है। 2025 तक डिजिटल इकॉनमी का आकार 1 खरब डॉलर होने का आकलन है। अप्रैल 2000 से मार्च, 2020 के बीच इस सेक्टर में करीब 45 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया।
यकीन मानिए कि आईटी सेक्टर का भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 8 फीसद का योगदान है जो हर साल बढ़ता ही जा रहा है । देश में 32 हजार के आसपास रजिस्टर्ड आई टी कंपनियां हैं। यह सेक्टर देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है। देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा करीब 25 फीसद है, और आई टी उद्योग की विशेषता यह है कि इस क्षेत्र में श्रमबल में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। मतलब साफ है कि आईटी सेक्टर भारत की किस्मत बदल रहा है। ये हिन्दुस्तानी औरतों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बना रहा है। कामकाजी औरतों के स्वावलंबी होने से समाज भी तो बदलेगा। आखिर पढ़ी-लिखी लड़कियां घरों में क्यों रहें, क्या करें । आधुनिक उपकरणों ने रसोई का काम भी तो हल्का कर दिया है I
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नासकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम’ को संबोधित करते हुए सही ही कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और इस क्षेत्र में लीडर बनने के लिये इनोवेशन पर जोर, प्रतिस्पर्धी के साथ उत्कृष्ट संस्थान निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आईटी उद्योग से कृषि, स्वास्थ्य और देश के लोगों की अन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर उनके समाधान हेतु संसाधन बनाये जाने का भी आह्वान किया।
भारत नेतृत्व करे संसार के आईटी सेक्टर की
भारतीय आईटी उद्योग की विश्व में गहरी छाप तो है, लेकिन भारत को अब इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करना होगा। हमें इनोवेशन, प्रतिस्पर्धी क्षमता और उत्कृष्टता के साथ संस्थान निर्माण पर ध्यान देना होगा। सारे विश्व में भारतीय प्रौद्योगिकी की जो पहचान है, उससे तो समूचे देश का उज्जवल भविष्य जुड़ा हुआ है।
अगर आप भारत के आईटी सेक्टर की शिखर शख्सियतों के नामों पर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि इस क्षेत्र को फकीरचंद कोहली, एन.नारायणमूर्ति, नंदन नीलकेणी, शिव नाडार जैसे अनेक महान पेशेवर मिलते रहे हैं । इन्होंने आईटी सेक्टर को नई दिशा और बुलंदी भी दी। यदि आज भारत का आईटी सेक्टर 190 अरब डॉलर तक पहुंच गया है तो इसका श्रेय़ काफी हद उपर्युक्त हस्तियों को ही देना होगा। ये सब भारत के आईटी सेक्टर के शलाखा पुरुष हैं। ये सब ही वे भविष्यदृष्टा रहे जिन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को खड़ा किया। इन्होंने ही देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी।
अगर आज भारत के मिडिल क्लास का विस्तार होता जा रहा है तो इसमें आईटी सेक्टर की निर्णायक भूमिका रही है। आपको लगभग हरेक मिडिल क्लास परिवार का कोई न कोई सदस्य आईटी सेक्टर से जुड़ा हुआ मिलेगा। इन्होंने अपने परिवार का वारा-न्यारा कर दिया है। मैं इस तरह के अनेक परिवारों को जानता हूं जिनके बच्चों ने आईटी पेशेवर बनकर मोटा पैसा कमाया और कमा रहे हैं।
हमारे आईटी पेशेवरों ने देश की सरहदों को पार करके अमेरिका और कनाडा सहित अनेकों देशों में भी अपने झंड़े गाड़ दिए हैं। ये वहां के कॉरपोरेट संसार से लेकर दूसरे क्षेत्रों में अहम पदों पर हैं । इनमें सुंदर पिचाई (गूगल), सत्या नेडाला (माइक्रोसाफ्ट), शांतनु नारायण (एडोब), राजीव सूरी (नोकिया) जैसी प्रख्यात कंपनियों के सीईओ हैं। ये सब फॉच्यून-500 कंपनियों से जुड़े हैं। यही सब नए भारत के नायक हैं। कोरोना काल से कुछ दिन पहले की बात है। हुआ यह कि मैं एक दिन बैंगलोर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए हवाई अड्डे पर था। वहां पर देखा कि कई महिला पुरुष इंफोसिस के फाउंडर चेयरमेन नारायणमूर्ति से बात कर रहे हैं। उनके आटोग्राफ ले रहे हैं। क्या कभी पहले राजनेताओं और फिल्म स्टार को छोड़कर कभी किसी उद्योगपति से भारतीय समाज आटोग्राफ भी लेता था? नारायण मूर्ति जैसी विभूतियों की सज्जनता और उपलब्धियों पर सारे देश को गर्व है। ये हर साल अरबों रुपए कमाने के बाद भी मितव्ययी जीवन ही गुजार रहे हैं। ये पैसों को फिजूलखर्ची में उड़ाते नहीं हैं। इन्होंने देश के लाखों नौजवानों में ऊँचे सपने देखने की आदत डाली है।
दरअसल आईटी सेक्टर ने हरेक आईटी पेशेवर के मन में अपना खुद का काम शुरू करने का जज्बा भर दिया है। ये इस क्षेत्र की सबसे ब़ड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। नए आईटी पेशवरों के सामने नारायणमूर्ति, शिव नाडार, नीलकेणी जैसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इनके परिवार में इनसे पहले कभी किसी ने कोई कारोबार नहीं किया था। इन्होंने ठीक-ठाक नौकरियों को छोड़ कर ही अपना काम शुरू किया और फिर आगे बढ़ते ही चले गए। आईटी सेक्टर ने नोएडा, गुरुग्राम, मोहाली, बैंगलोर, पुणे, चेन्नई समेत देश के दर्जनों शहरों की किस्मत बदल दी। इनमें हजारों- लाखों पेशेवर आईटी कंपनियों में काम रहे हैं। ये सब कोरोना काल के बाद वर्क प्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन, इनके काम की गति तनिक भी धीमी नहीं पड़ी है। ये आई.टी. कम्पनियां अपने पेशेवरों की सैलरी काट नहीं रहे हैं। ये तो उल्टे इनकी सैलरी बढ़ा रहे हैं। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने पहली जनवरी 2021 से अपने जूनियर स्टाफ का वेतन बढ़ाने का फैसला किया है। अजीम प्रेमजी जैसे चमत्कारी चेयरमेन की यह आईटी कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टाफ को प्रमोशन भी देने जा रही है जो 1 दिसंबर 2020 से प्रभावी होगा। ये तो बस एक उदाहरण है भारत के बुलंदियों को छूते आईटी सेक्टर का।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)
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