
बांदा डीवीएनए। यौन उत्पीड़न के आरोपी सिंचाई विभाग के निलंबित अवर अभियंता रामभवन मामले में सीबीआई ने शिकार बच्चों को बदनामी और धौंस-धमकी से बचाने के लिए अदालत से गुजारिश की कि चार्जशीट में दर्ज बच्चों के नामों को उजागर न किया जाए। उनके नामों पर स्याही पोत दी जाए।
विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) मोहम्मद रिजवान अहमद के समक्ष यहां सीबीआई के उपाधीक्षक और इस केस के विवेचक अमित कुमार ने अर्जी देकर अनुरोध किया कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुए बच्चे नाबालिग हैं। उनके बयान आदि लिए गए हैं। दाखिल की जा चुकी चार्जशीट में इन बच्चों के नाम और पते आदि का उल्लेख है। सीबीआई ने कहा कि चार्जशीट देखकर इन बच्चों के नाम उजागर होने से आरोपी पक्ष उन पर दबाव बना सकता है। सीबीआई ने सुझाव दिया कि बच्चों के नाम और पतों पर स्याही पुतवा दी जाए, ताकि वह पढ़े न जा सकें।
सीबीआई की इस अर्जी की प्रति न्यायाधीश ने आरोपी के अधिवक्ता भूरा प्रसाद निषाद को उपलब्ध कराई। साथ ही उनकी राय भी मांगी। इस पर निषाद ने आपत्ति दाखिल करने के लिए मोहलत मांगी। अंततरू अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 मार्च निर्धारित कर दी। चार्जशीट की कापी आरोपियों के अधिवक्ता को 10 मार्च को मिल सकती है। इसी के बाद वह जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
दो आरोपियों की रिमांड पर सुनवाई 10 को
बच्चों के यौन उत्पीड़न के चर्चित केस की सह आरोपी और मुख्य आरोपी जेई रामभवन की पत्नी दुर्गावती और हाल ही में सीबीआई द्वारा दिल्ली से गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी मोहम्मद आकिब की अदालत कस्टडी रिमांड अवधि 10 मार्च तक बढ़ा दी गई है। आरोपियों के वकील भूरा प्रसाद निषाद के अनुरोध पर कोर्ट ने रिमांड पेशी के लिए 10 मार्च निर्धारित की। सुनवाई के दौरान पाक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद रिजवान, सीबीआई के उपाधीक्षक अमित कुमार, आरोपियों के अधिवक्ता भूरा प्रसाद निषाद व देवदत्त तिवारी अदालत परिसर में स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम में गए। वहां अधिवक्ता भूरा प्रसाद ने वीडियो के जरिए आरोपी रामभवन व उसकी पत्नी दुर्गावती से बातचीत की। बचाव पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता अनुराग पटेल मौजूद नहीं थे।
संवाद विनोद मिश्रा
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