भारत में स्थित यह मंदिर, एक बार दर्शन करने के बाद हो जाता है गायब

 

प्राचीन काल से भारत अनेक धार्मिक और रहस्यमय तीर्थ स्थलों के लिए जाना जाता है। यहां पर आज भी अनेक प्राचीन तीर्थ स्थल और मंदिर हैं, जिनका इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। आपने आज तक बद्रीनाथ, केदारनाथ और वैष्णो देवी के बारे में खूब सुना होगा है। यहां साल भर हजारों की संख्य़ा में भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए तो कोई अपने भाग्य को बदलने के लिए दर्शन करने आते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे दिव्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें हजारों रहस्य छुपे हुए हैं जो केवल एक बार दिखाई देने के बाद अदृश्य हो जाता है। आइये जानते हैं कहां है ये मंदिर, क्या है इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं।
विश्व नदन स्थल
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्व दिया जाता है लोगों का मानना है कि भगवान की सच्चे मन से आराधना और विधि पूर्वक पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-समृधि आती है। जिसके लिए लोग विधि पूर्वक पूजा-पाठ और व्रत करते हैं पूजा करते समय भक्त अपने ईष्ट देव का जल अभिषेक जरूर करते हैं। लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है जो अपना जल अभिषेक खुद जल में डुबकी मारकर करता है। आप सोच रहे होंगे ये मंदिर कहां पर होगा ? तो आपको बता दें ये मंदिर भारत में स्थित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिव्य और रहस्यमय मंदिर की खोज को 150 वर्ष पूर्व किया गया था। इस मंदिर से जुड़ी हुई कहानी बहुत पुरानी और रोचक है। इसके जुड़ी कहानी ताड़कासुर नाम के राक्षक की है। जिसने भगवान शिव को कठोर तपस्या कर प्रसन्न कर दिया था। जिसके बाद उसको शिव से वरदान की प्राप्ति हुई थी। राक्षस ताड़कासुर ने भोलेनाथ से वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु केवल आपके छः पुत्र के द्वारा ही हो।
कैसे हुई ताड़कासुर की मौत
किसी ने सही कहा है कि इस सृष्टि में जिसका भी जन्म हुआ है समय आने पर उसकी मृत्यु निश्चित है। वहीं अगर किसी को किस्मत से ज्यादा मिल जाता है तो उसे उसकी अहमियत समझ नहीं आती, और उसका गलत करने लगता है। ताड़कासुर ने भी भगवान शिव से प्राप्त वरदान के बाद बुरी तरह आतंक शुरू कर दिया। ताड़कासुर के इस भयानक रूप देवी-देवता बहुत डर गए और सभी अपनी गुहार लेकर भगवान शिव जी के पास गये।
भोलेनाथ ने अपनी शक्ति का उपयोग करके श्वेत पर्वत के पिंड से पुत्र कार्तिके को जन्म दिया। जिसके छः सर और चार आंखे थी, कार्तिके ने ताड़कासुर का अंत कर आतंक को समाप्त कर दिया। जब कार्तिके को इस बात का पता चला कि जिस ताड़कासुर का वध किया है वो पिता भोलेनाथ का भक्त था, तो उनको बहुत दुःख हुआ।
कैसे हुई विश्व नदन स्थल की स्थापना
ताड़कासुर के वध के बाद उसी स्थान पर भगवान विष्ण ने नदन स्थल की स्थापना की थी, जिसको कार्तिके ने पूरा किया था। तभी से आज तक ये मंदिर बहुत लोक प्रिय है। आज इस मंदिर को स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर गुजरात के वडोदरा से 85 किमी दूरी पर जम्बूसर तहसील के कावी कम्बोई गांव में स्थित है।
निर्माण
150 साल पहले खोजे गए इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा विराजमान है। जिसका आकार 4 फुट ऊंचा है। इस दिव्य मंदिर पर खड़े होकर बेहद खूबसूरत अरब सागर दिखाई देता है। यह मंदिर दो ज्वार भाटा की वजह से खुद ही गायब हो जाता है। यहां पर आने वाले लोगों को इस बात की जानकारी देने के लिए पर्चे बांटे जाते हैं जिसमें ज्वार भाटा आने का समय लिखा होता है।

Post a Comment

0 Comments