
विनोद मिश्रा
बांदा। चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये, जब सावन ही आग लगाये तो उसे कौन बुझाये। इस गीत की पंक्तियां उन अनाथ बच्चों पर सटीक है जिनके खानदानी ही उन्हें डस रहें है और जिस खबर को हम आपके सामने पेश कर रहे हैं।
वैसे भी अनाथों के प्रति हमदर्दी होती है लेकिन अनाथों को जब उनके खानदानी ही डसने को तैयार हो तों अनाथों की मुसीबत का अंदाजा लगाया जा सकता है। माता-पिता की मौत के बाद अनाथ हो गए बच्चों का हक उनके ही घर वाले डकार रहे हैं। बच्चों के पिता की 16 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया है।
वरासत में यह जमीन बच्चों के नाम दर्ज हो चुकी है। बच्चों की पैरवी में बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व प्रांतीय संयोजक और अधिवक्ता महेंद्र सिंह गौतम और अधिवक्ता ब्रजभूषण सिंह यादव आदि ने डीएम को ज्ञापन देकर किया है।
मामला नरैनी तहसील के काजीपुर गांव का है। यहां के निवासी 11 वर्षीय रामू और उसकी सगी बहन माया ने डीएम को दी अर्जी में कहा कि उसके पिता मेवालाल की 6 वर्ष पूर्व और मां शिवकुमरिया की तीन वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है।
पिता की 16 बीघा जमीन के वही वारिस हैं। एसडीएम के आदेश पर खतौनी में उनकी वरासत दर्ज हो चुकी है, लेकिन जमीन पर परिवार के लोग ही कब्जा किए हुए हैं। खेत में बालू के ट्रक निकालने के लिए रास्ता बना दिया गया है। बच्चों और वकीलों ने कब्जा दिलाने की मांग करते हुए भूमाफिया से रक्षा की भी फरियाद की।
ज्ञापन देने के दौरान संतोषानंद, संतोष कुमार श्रीवास्तव, शिवकुमार मिश्रा, संतोष द्विवेदी आदि शामिल रहे। उधर, इस बारे में नरैनी एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि पूरे प्रकरण का पता कराया जा रहा है, जिसके नाम जमीन होगी उसे कब्जा दिलाया जाएगा।
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