
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया।
उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
चाणक्य अपनी चाणक्य नीति में कहते हैं कि वासना जैसी कोई दूसरी बीमारी नहीं है। जिस व्यक्ति के मन में हर समय वासना की भावना रहती है, उसका मन किसी और काम में नहीं लगता है और लगातार केवल वासना के बारे में सोचता है। ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं।
शरीर की बीमारियों का इलाज संभव है, लेकिन यौन इच्छा से पीड़ित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं है।
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