यूपी की राजनीति में भाषा और आचरण का जो ह्रास दिखाई दे रहा: अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाषा और आचरण का जो ह्रास दिखाई दे रहा है वह चिंतनीय है। आरोप-प्रत्यारोप और धमकी का इसमें कोई स्थान नहीं हो सकता है। जो राजनीति में हैं उन्हें विशेषकर सावधानी बरतनी चाहिए और सार्वजनिक जीवन की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। लेकिन इधर लोकतंत्र के मंदिर विधानमण्डल में सार्वजनिक तौर पर जिस भाषा और व्यवहार का प्रदर्शन किया गया वह लोकतांत्रिक मान्यताओं की गरिमा को गिराने वाला है। लोकशाही में एकाधिकारी मानसिकता का प्रदर्शन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अवांछनीय है।
     यह बात समझ से परे है कि भाजपा किसानों से क्यों नफरत करती है? किसान महीनों से अपनी मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने अब तक किसानों के साथ वार्ता कर समस्या के समाधान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। भाजपा अब अपने संकल्प पत्र के वादे भी भूल गई है। जनप्रतिनिधि जब जनता की दिक्कतों के बारे में सवाल उठाते हैं और भाजपा से उनके वादो के बारे में जवाब मांगते है तो भाजपा भड़क जाती है। आखिर जनता का सामना करने से भाजपा क्यों कतराती है? जनता को डराने वाली भाजपा अब खुद चुनाव में जाने से पहले डर रही है। 
    लोकतंत्र में जनता के पास ही पूरी ताकत होती है और उसी के वोट से सरकारें बनती-बिगड़ती हैं। सत्ता के मद में जनता की अनदेखी करना भाजपा के लिए बहुत भारी पड़ेगा। भाजपा की दम्भी सरकार के दिन भी गिने-चुने रह गए हैं। जब सन्2022 में जनता अपना निर्णय समाजवादी पार्टी के पक्ष में सुनायेगी तब भाजपा को मुंह छुपाने लायक जगह भी नहीं मिलेगी।
    लोकराज लोकलाज से चलता है। मुख्यमंत्री जी द्वारा सत्ता का दुरूपयोग, ठोक दो, ऐसा डोज दूंगा कि दर्द दूर हो जाएगा, जैसी भाषा का प्रयोग अहंकार की सतही मनोदशा का सूचक है। जनता सब देख रही है। सदन से सड़क तक भाजपा के चाल चरित्र का वास्तविक चेहरा सामने आ चुका है। समाजवादी पार्टी ही भाजपा का विकल्प है। भाजपा को 2022 में जनता का, किसानों, नौजवानों का आक्रोश भारी पड़ने वाला है।

Post a Comment

0 Comments