'प्रेमी-प्रेमिका मंदिर' में आशिकों का मेला हुआ गुलजार, प्रेम साधना की मांगी मन्नतें


विनोद मिश्रा

बांदा। मकर संक्रांति के अवसर पर दो दिन तक भूरागढ़ में लगने वाला आशिकों का मेला गुलजार हो गया । गुरुवार को यहां लोगों की खासी भीड़ नजर आई। नटबली की मजार पर लोगों ने प्रसाद चढ़ाया।प्रेमी-प्रेमिकाओं ऩे मन्नतें मांगी की हे नटबली हमारी मुरादें पूरी करो की "छोड़ेंगे न हम तेरा साथ रे साथी मरते दम तक" वहीं नदी में नाव के जरिए सैर सपाटा किया। ऐतिहासिक किले का भ्रमण किया। यहां सजी दुकानों में महिलाओं और बच्चों ने खरीदारी की।  सुबह से ही यहां केन नदी में लोग डुबकी लगाकर सूर्य भगवान का दर्शन पूजन कर, फिर खिचड़ी दान किया।

शहर से करीब दो किमी. दूर स्थित भूरागढ़ दुर्ग आशिकी की अमर बेल की तरह आजादी का भी गवाह है। यहां पर आजादी के सैकड़ों दीवानों को फांसी दी गई थी। मकर संक्रांति पर यहां हर वर्ष मेला लगता है। इसी कड़ी में गुरुवार से यहां आशिकों का मेला गुलजार हो गया।जैसा की हम आशिकों के मेले की कहानी आपको पहले ही बता चुकें है की एक नट औऱ राजकुमारी के प्रेम कहानी में "बेदर्द जमाने" के कारण दोनो ऩे प्राणों की आहुति दी ।पहले दिन से ही यहां लोगों की खासी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही सैकड़ों की तादात में लोग यहां पंहुचे। यहां किला का भ्रमण किया।

इसके साथ ही यहां पर ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से जाना। बच्चों ने घाटों पर खूब अठखेलियां की और नौका बिहार का लुफ्त उठाया। मेला भ्रमण के बाद नटबली की समाधि स्थल पर पहुंचे जहां पर रेवड़ी चढ़ाई और पूजा अर्चना किया।प्रेम साधना पूरी होने की मन्नतें मांगी।

यहां पर आयोजित भक्ति भजन कार्यक्रमों का आनन्द लिया। एतिहासिक भूरागढ़ दुर्ग में भ्रमण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। हर वर्ष की तरह दुकानदारों ने तरह-तरह की दुकानें सजा रखी थीं जहां लोगों ने खूब खरीददारी की। मेले में दोपहर बाद लोगों की भीड़ जुटी जो देर शाम तक चलती रही। खास बात यह रही की मकर संक्रांति के एक दिन पहले से ही इस बार मौसम सर्द रहा। सूर्य भगवान की लुका छिपी के कारण लोगों को सर्दी ने ठिठुरने को मजबूर कर दिया।  इस मौके पर ग्राम प्रधान भूरागढ़ समेत तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे।

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