१. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में वृष या तुला राशि होती है तो उसे सुंदर पत्नी मिलती है। २. यदि कुंडली के सप्तम भाव का स्वामी सौ...
१. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में वृष या तुला राशि होती है तो उसे सुंदर पत्नी मिलती है।
२. यदि कुंडली के सप्तम भाव का स्वामी सौम्य ग्रह होता है और वह स्वराशि होकर सप्तम भाव में ही स्थित होता है तो व्यक्ति को सुंदर और भाग्यशाली पत्नी प्राप्त होती है।
३. जब सप्तम भाव का स्वामी सौम्य ग्रह हो और वह नवम भाव में हो तो व्यक्ति को गुणवती और सुंदर पत्नी प्राप्त होती है। इस योग से व्यक्ति का भाग्योदय विवाह के बाद होता है।
४. सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में उपस्थित हो तो व्यक्ति की पत्नी रूपवती, संस्कारी, मीठा बोलने वाली और सुंदर होती है। विवाह के पश्चात व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है या पत्नी के माध्यम से भी लाभ प्राप्त होते है।
५. यदि व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में वृष या तुला राशि होती है तो व्यक्ति को चतुर, मीठा बोलने वाली, सुंदर, शिक्षित, संस्कारी, तीखे नयन-नक्ष वाली, गौरी, संगीत कला आदि में दक्ष पत्नी प्राप्त होती है।
६. यदि कुंडली के सप्तम भाव में मिथुन या कन्या राशि हो तो व्यक्ति को कोमल, आकर्षक व्यक्तित्व वाली, भाग्यशाली, मीठा बोलने वाली श्रेष्ठ पत्नी प्राप्त होती है।
७. जिस व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में कर्क राशि है, उसे अत्यंत सुंदर, भावुक, कल्पनाप्रिय, मधुरभाषी, लंबे कद वाली, तीखे नयन-नक्ष वाली, भाग्यशाली पत्नी प्राप्त होती है।
८. यदि कुंडली के सप्तम भाव में कुम्भ राशि हो तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी गुणवान, धार्मिक, आध्यात्मिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाली एवं दूसरों का सहयोग करने वाली होती है।
९. कुंडली के सप्तम भाव में धनु या मीन राशि हो तो व्यक्ति को पुण्य के कार्यों में रुचि रखने वाली, सुंदर, न्याय एवं नीति की बातें करने वाली, पति के लिए भाग्यशाली, शास्त्र अध्ययन करने वाली पत्नी प्राप्त होती है।
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