एक साल बाद भी पूरी नहीं हुई 32 ग्राम पंचायतों की जांच, आखिर क्यों नहीं?

विनोद मिश्रा
बांदा।
जिला धिकारी जांच के मामले में जौहरी की भूमिका में हैं।जिले की 32 ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां कराए गए विकास के कामों की जांच करीब एक साल से चल रही है। लेकिन आज तक जांच पूरी नहीं हो सकी। 

पंचायत चुनाव को देखते हुए जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। उन्होंने जांच अधिकारियों को एक सप्ताह का समय देते हुए तत्काल रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। जांच के दायरे में नरैनी ब्लाक की नौ, बड़ोखर, तिदवारी व बिसंडा की 5-5, महुआ की चार, कमासिन की तीन व जसपुरा की एक पंचायत शामिल है।

ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों को लेकर ग्रामीणों द्वारा की जाने वाली शिकायतों की जांच अधिकारियों से कराई जाती है। जिले में 32 ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जिनकी जांच लंबे समय से अटकी हुई है। इनमें सर्वाधिक संख्या नरैनी विकासखंड की है। नरैनी ब्लाक की ग्राम पंचायत उदयपुर, रामनगर निष्क, पड़मई, गोरेमऊकला, पोंगरी, डढ़वामानपुर, रक्सी, कुलसारी, पियार, तिदवारी विकासखंड की ग्राम पंचायत महुई, अमलोर, पपरेंदा, पलरा, सिंहपुर, बिसंडा ग्राम पंचायत की लमेहटा, बीरीबिरहंड, पवइया, कैरी, इटवां, बड़ोखरखुर्द ब्लाक की ग्राम पंचायत कुलकुम्हारी, कतरावल, अरबई, चहितारा, छेहरांव, महुआ ब्लाक की ग्राम पंचायत महुआ, मुगौंरा, बरुआ-स्योढ़ा, बड़ोखरबुजुर्ग, कमासिन ब्लाक की ग्राम पंचायत बंथरी, अमलोखर, मऊ व जसपुरा विकासखंड की ग्राम के लिए जांच अधिकारियों को एक सप्ताह का समय दिया है। उधर जिला पंचायतराज अधिकारी सर्वेश कुमार पांडेय ने बताया कि इन जांचों में ज्यादातर विकास कार्यों से संबंधित है। जो छह माह से एक साल की अवधि के अंदर लंबित हैं।

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