महिलाओं के लिए सुनहरा रहा 2020, नए वर्ष में नई उम्मीदें

विनोद मिश्रा
बांदा। कोरोना संक्रमण काल के बावजूद वर्ष 2020 में महिलाओं ने सरकारी योजनाओं की मदद से अपने को काफी संभाला और संवारा। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने खेती किसानी से लेकर दाल मिल, एलईडी बल्ब बनाने के लघु उद्योग अपनाकर सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दिया। लघु उद्योग व खादी ग्रामोद्योग विभाग ने भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। पुलिस थानों/कोतवाली में महिलाओं की फरियाद सुनने के लिए अलग महिला हेल्प डेस्क स्थापित हुई। नए साल में स्वरोजगार के बड़े कार्यों से जुड़ने की मुहिम है।
सौगात
1. जिले में इस वर्ष ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 782 महिला समूहों के गठन के साथ अब समूहों की संख्या 5,643 हो गई है। 19 महिलाओं को राशन की दुकान आवंटित की गई। बैंकों में 100 से अधिक बैंक सखी, 62 को बिल कलेक्शन व डिसप्ले-बोर्ड का काम मिला। 686 महिलाओं ड्राई राशन वितरण के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ा गया।
2. जिले में 2,484 महिलाओं को लघु एवं मध्यम उद्योग से जोड़ा गया। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन व युवा स्वरोजगार आदि योजनाओं से समूहों को 17.96 करोड़ की मदद मिली। 36 महिलाएं कृषि, उद्यान के कार्य में लगी हुई है। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए 6 महिलाओं को ट्रैक्टर, कृषि यंत्र, बीज, खाद आदि वितरित किया गया
3. 20 आंगनबाड़ी केंद्रों में 11 बनकर तैयार हो गए। अब इन केंद्रों की संख्या 200 हो गई। इनमें 20 हजार से अधिक महिलाओं को विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही पुष्टाहार का वितरण किया जा रहा है। टीकाकरण व बच्चों को शिक्षा देने का काम भी हो रहा है।
4. इस वर्ष जिले में 17 थानों में महिला हेल्प डेस्क की शुरुआत की गई। तीन सौ से अधिक महिलाओं की समस्याओं का निस्तारण किया गया। स्कूलों में शक्ति परी की नियुक्तियां हुईं। वन स्टाप सेंटर (181 हेल्प लाइन) से घरेलू हिंसा से संबंधित 717 मामले आए। इनमें 542 का निस्तारण हुआ।
उम्मीद
1. आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री-एजूकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शासन ने स्नातक व परास्नातक आंगनबाड़ियों व विभागीय भवनों की सूची मंगाई है। नए वर्ष शुरुआत हो सकती है।
2. 470 ग्राम पंचायतों में निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालयों की जिम्मेदारी महिलाओं को दी जानी है। 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। नए वर्ष में लाभार्थियों के इस्तेमाल में आने लगेंगे।
3. स्वयं सहायता समूह को अगले साल से आंगनबाड़ी केंद्रों में पुष्टाहार व परिषदीय स्कूलों में स्वेटर आपूर्ति की योजना है। पुष्टाहार निर्माण के लिए जिले के आठ समूहों को प्लांट लगाने के लिए ऋण दिलाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्लांट में 800 अन्य महिलाओं को रोजगार मिलने की संभावना है।
4. जिले में 35 फीसदी महिलाएं मनरेगा में काम कर रही हैं। मनरेगा मजदूर महिलाओं को मेठ के रूप में भी काम मिलेगा। उन्हें मजदूरी के दौरान बच्चों की देखभाल के लिए दो घंटे का भोजन अवकाश मिलेगा।

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