डीएम खफा : बीस करोड़ के बकाएदार बालू पट्टाधारक नहीं जमा कर रहे रायल्टी!

विनोद मिश्रा
बांदा। इस वर्ष की तिमाही रायल्टी किस्तें बालू खदान संचालकों द्वारा जमा न करनें से जिलाधिकारी आनन्द सिंह नें कानूनी कार्यवाई का मन बना लिया है। दरअसल मशीनों से साल-दो साल में ही बालू खदानों की मलाई निकाल उन्हें खोखला कर दिया। अब सरकारी राजस्व देनें के मूड में नहीं है। जानती हैं घाटा हो जायेगा।रायल्टी जमा करने के लिये खदान संचालकों को रियायत देते हुए चार सामान्य किस्तों में जमा करने के निर्देश दिएगये थे, पर खदान संचालक इस सहूलियत की भी अनदेखी कर रहे हैं। यह अदायगी दिसंबर से मार्च 2021 के बीच मासिक किस्तों में ऑनलाइन करनी थी। बांदा जिले के खदान संचालकों पर 20 करोड़ रुपये बकाया है।
डीएम आनंद कुमार सिंह ने शासनादेश का हवाला देकर जिले के बालू/मौरंग पट्टाधारकों को जारी पत्र में कहा था कि बालू और मौरंग के खनन पट्टों की मई 2020 तक की राशि (रायल्टी) बकाया है। कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर शासन ने यह राशि दिसंबर से मार्च के मध्य देने की सहूलियत दी । पहले में यह राशि 30 सितंबर तक जमा करनी थी। हालत यह है की पैसा न जमा करने से कई खदानें चालू नहीं हो पाई । खनिज की उपलब्धता पर असर पड़ रहा है। साथ ही राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पट्टाधारकों से कहा गया है कि मई 2020 तक की बकाया धनराशि दिसंबर से मार्च के बीच जमा कराना सुनिश्चित करें।
जय अंबे कांस्ट्रक्शन पर 10 करोड़ बकाया
जिले के खदान पट्टाधारकों पर लगभग 20 करोड़ बकाया है। हालांकि यह राशि गिनीचुनी खदानों के संचालकों पर ही बाकी है। सबसे ज्यादा 10 करोड़ की बकाएदारी जय अंबे कांस्ट्रक्शन (प्रोपाइटर रामनरेश शर्मा) पर है। शेष 10 करोड़ दो अन्य खदानों पर बकाया है। पट्टाधारकों ने निर्धारित समय पर किस्तें जमा नहीं कीं। उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
17 पट्टाधारक कंपनियों की डीएम ने कल बुलाई बैठक
खदानों/पहाड़ों की ऊंची बोली लगाकर पट्टा अपने नाम करा लेने के बाद पट्टे की रजिस्ट्री (विलेख) न कराने वाले 17 पट्टाधारकों/कंपनियों के संचालकों की 6 नवंबर को डीएम आनंद कुमार सिंह बैठक ली थी। यह कंपनियां सहमति पत्र लेने के बाद भी औपचारिकताएं पूरी करने में रुचि नहीं ले रही।चिन्ता का विषय यह है की खनन पट्टा विलेख न होने से प्रस्तावित क्षेत्र में अवैध खनन होने की संभावना है,कहीं हो भी रहा है, जिसके प्रति डीएम आनन्द सिंह सतर्क हैं। पूरे प्रयास में हैं की सरकार को मिलने वाला राजस्व प्रभावित न हो। कात्यायनी नेचुरल रिसोर्सेज लि., आरएसआई स्टोन वर्ल्ड प्रा. लि., स्ट्रीम इंफ्राबिल्ड प्रा. लि., विपुल त्यागी, मेसर्स मां जयंती इंफ्रास्ट्रक्चर, थिंकहोम इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरेंद्र पुनिया, संग्राम सिंह, मेसर्स मल्होत्रा ब्रदर्स, एसआर इनोवेशन, विकास ट्रेडर्स, जय मां शारदा ट्रेडर्स, सफदर अली, मुमताज अली, दिशा इंटर प्राइजेज और हर्षित इंटर प्राइजेज शामिल हैं। इन सभी का लगभग 50 फीसदी पैसा जमा है। डीएम आनन्द सिंह अब तत्पर हैं की उपरोक्त औपचारिकताएं पूरी न कराने पर यह राशि जब्त कर दी जाय।

source https://upuklive.com/uttarpradesh/dm-khafa-twenty-crore-defaulted-sand-lease-holders-are-not/cid1766891.htm

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