सरकार को लेनी चाहिये इन शिक्षाविदो से मदद, दिल्ली जैसा ही बदल सकता है बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीर

पटना। आज दिल्ली के सरकारी स्कूल की चर्चा देश-विदेश में खूब हो रही है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी सरकारी स्कूल से पढकर दिल्ली के छात्र छात्राओं ने इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता पाये। 

सरकारी स्कूल से पढकर सैकङो स्टूडेंट्स आईआईटी प्रवेश परीक्षा और नीट में सफलता पाया। इसका सारा श्रेय दिल्ली सरकार के बेहतर शैक्षणिक मॉडल को जाता है जिसने सरकारी स्कूल की शिक्षा प्राइवेट जैसा कर दिया। 

क्या बिहार की सरकारी स्कूलो की सुरत बदलेगा, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 खत्म हो गया। नये सरकार का गठन होने जा रहा है। सरकार के सामने बेहतर शिक्षा को लेकर बड़ी चुनौती है। एक तरफ दिल्ली सरकार ने अपने कार्यशैली से यह दिखा दिया की सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट जैसा शिक्षा दिया जा सकता है। अब ये अन्य राज्यो के लिये चुनौती बन चूका है की कैसा सरकारी स्कूल से पढकर सरकारी स्कूल के सैकङो स्टूडेंट्स प्रत्येक वर्ष आईआईटी और नीट प्रवेश परीक्षा में सफल हो।

यदि बिहार के सरकारी स्कूलों की सुरत सरकार बदलना चाह्ता है तो बिहार के इन शिक्षाविदो की लेनी चाहिये मदद, ऐसा बिहार के लोगो में चर्चा का विषय है।

कौन है ये शिक्षाविद जिससे बिहार सरकार मदद ले तो बदल सकता है बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीर

वैसे तो बिहार में सैकङो ऐसे प्रतिभा है जिनसे सरकार मदद ले तो शिक्षा में बड़ा बदलाव बिहार के सरकारी स्चूलो में भी आ सकता है। आज हम उन बिहार के प्रतिभा के बारे में बात कर रहे है जो अपने शैक्षणिक कार्यशैली के लिये मशहूर है। जो प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफलता दिला रहे। बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित है। अभयानंद और आनंद कुमार ( Anand Kumar) ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है। एक मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं। आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए से खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं। आरके 52 तरीके से पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) को सिद्ध कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं। 

540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके है इंजीनियर , एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है। 



source https://upuklive.com/bihar/government-should-take-help-from-these-academics-the/cid1760817.htm

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