वेंटिलेटर पर 97 फीसदी मरीजों की मौत, राज्य में मचा हड़कंप

बेंगलुरु. सांस लेने में कठिनाई के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है, हालांकि एक मामला सामने आया है जिसमें सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर पर मरीजों की मौत हो गई। मामला बेंगलुरु के एक सरकारी अस्पताल का है। इस घटना के बाद, संदेह था कि क्या वेंटिलेटर में कोई खराबी थी।

दरअसल, बेंगलुरु के सौ साल पुराने विक्टोरिया अस्पताल में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है। कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल को अप्रैल में बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (BMCRI) से जोड़ा गया था। हालांकि, तब से इस अस्पताल में 91 मरीजों की मौत हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि इन 91 में से 89 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया था। यानी 97 प्रतिशत मौतें वेंटिलेटर पर हुईं। बता दें कि विक्टोरिया अस्पताल में 50 वेंटिलेटर हैं, जो बेंगलुरु के अन्य सभी सरकारी अस्पतालों की तुलना में सबसे अधिक है।

बेंगलुरु के सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एक वरिष्ठ प्रोफेसर, जिनकी वेंटिलेटर पर मृत्यु हो गई थी, ने कहा कि अगर वेंटिलेटर पर 97 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो गई, तो इसका मतलब था कि आईसीयू में ही कुछ गड़बड़ थी।

वेंटिलेटर पर मौतों को स्पष्ट करते हुए, अस्पताल की नोडल अधिकारी डॉक्टर स्मिता सेगु ने कहा कि उन रोगियों में से अधिकांश गंभीर रूप से बीमार थे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर गंभीर मरीज विक्टोरिया अस्पताल में आते हैं, इसलिए 39 मरीज ऐसे हैं, जो 24 घंटे के प्रवेश के दौरान मर गए। यहां मरने वाले रोगियों में, 95% अन्य बीमारियों से पीड़ित थे और 30% 60 वर्ष से अधिक आयु के थे।

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