अक्सर हर मां कि ख्वाहिश होती है कि उसका बच्च गोरा और सुंदर दिखने वाला हो। आजकल तो मांए गर्भावस्था में ही बच्चे के सुंदर पैदा होने के नुस्खे अपनाती रहती है। लेकिन भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां गौरा बच्चा पैदा होना अभिशाप माना जाता है और उसे पैदा होते ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। यह परंपरा केंद्र शासित प्रदेश अंडमान के जारवा जनजाति की है।
क्या आपने कही सुना है कि कोई मां बाप अपने ही बच्चो को मार देते है। वो भी सिर्फ इस कारण कि बच्चे का रंग गोरा है। सुनने में भले ही ये बात आपको अजीब लग रही हो लेकिन यह सच है। बच्चे की किलकारी गुंजते ही जश्न मनाया जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी अगर बच्चे का रंग थोड़ा सा भी साफ हैं। तो इनका मानना है कि बच्चे का रंग गोरा होने से वह दूसरे समुदाय का लगने लगता है। उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। अंडमान की पुलिस इस दुविधा में है कि वह इसके खिलाफ एक्शन ले या इस परंपरा को रहने दें।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस जनजाति के लोगों की संख्या करीब 400 है, जो लगभग 50 हजार साल पहले अफ्रीका से यहां आकर बस गए थे। इनकी स्किन बिल्कुल काली होती है और कद छोटा होता है। 1998 तक यह जनजाति बिल्कुल अलग जीवन जीती रही और बाहरी लोगों को देखते ही मार देती थी, हालांकि बाद में इनकी आदतें बदलीं।
यह जनजाति अब बाहरी दुनिया के लोगों के संपर्क में आ रही है लेकिन अगर इनके किसी बच्चे का रंग इनसे मिलता-जुलता नहीं दिखता तो ये उसे मार डालते हैं। जनजाति की यह भी परंपरा है कि अगर कोई विधवा मां बनती है, या बच्चा किसी बाहरी शख्स का लगता है तो वे उसे मार देते हैं। इस समुदाय में आम तौर पर धारणा है कि जिन बच्चों का रंग साफ होता है, उनके पिता बाहरी हैं। पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
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