फांसी देने से पहले मुजरिम के कान में क्या फुसफुसाता है जल्लाद?

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। यहां हर किसी को अपने तरीके से जीवन जीने का अधिकार है। हम सभी की जिंदगी नियमों से भरपूर है लेकिन वहीं अगर कोई घिनौना अपराध करता है तो उसकी सजा के लिए कानून को नियमों की पालना करनी पडती है। 
सुबह क्यों दी जाती है फांसी:
फांसी वक्त सुबह-सुबह का इसलिए मुकर्रर इसलिए किया जाता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद किए जाते हैं। फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभानित ना हो ऐसा इसलिए किया जाता है।
फांसी से पहले जल्लाद कहता ये बात:
हमारे देश में जब किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तो उस समय जल्लाद अपराधी के कान में फांसी देने से पहले कुछ कहता है और इसके बाद ही अपराधी को फांसी दी जाती है। फांसी देने के कुछ समय पहले जल्लाद अपराधी के कान में माफ़ी मांगता है और कहता है कि “मुझे माफ़ कर दो भाई, मैं मजबूर हूँ”।
और भी कहता है ये बातें:
इतना ही नहीं अगर मरने वाला कैदी हिन्दू रहता है तो जल्लाद उसको “राम राम” बोलता है वहीँ अगर मरने वाला व्यक्ति मुस्लिम रहता है कि जल्लाद उसको अंतिम “सलाम” बोलता है। साथ ही जल्लाद उनसे कहता है कि “मैं सरकार के हुकुम का गुलाम हूँ इसलिए चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता”।

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