इस मंदिर में सिर्फ पुजारी ही कर सकता प्रवेश

कोई भी व्यक्ति जब भगवान के मंदिर जाता हैं तो वह चाहता है कि भगवान की मूर्ती के समीप से दर्शन किए जाए और उनके चरणों को छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाए। लेकिन जरा सोचिए कि आप मंदिर जाए और आपको मंदिर में प्रवेश ही ना मिले तो। जी हाँ, ऐसा एक मंदिर हैं जहाँ सिर्फ पुजारी को ही प्रवेश की अनुमति होती हैं और भक्तों को मंदिर के बाहर ही रहना पड़ता हैं। लेकिन इस मंदिर में भक्त जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। इसलिए सावन के इस पवित्र महीने में आज हम आपको इस चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में। 
भगवान शिव के इस मंदिर के सालों से रोज ऐसा चमत्कार हो रहा है जिसे जानकर भक्त हैरान हो जाते हैं। देहरादून जिले में स्थित इस मंदिर में भक्तों की अगाध आस्था है। यहां सैड़कों भक्त दर्शनार्थ आते हैं। यहां वह जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। त्यूनी-मोरी रोड पर मौजूद इस मंदिर में हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन को ओर से नमक भेंट किया जाता है। यह मंदिर देहरादून से 190 किमी और मसूरी से 156 किमी दूर टोंस नदी के तट पर स्थित है।
यह 'महासू देवता का मंदिर' (हनोल मन्दिर) तीन कक्षों में बना हुआ है, मन्दिर में प्रवेश करते ही पहला कक्ष है जिसमें बैठकर बाजगी पारंपरिक नौबत बजाते हैं। महिलाएं और पुरुष मुख्य मण्डप में प्रवेश कर सकते हैं। मुख्य मण्डप एक बड़ा कमरा है जिसमें बायीं तरफ चारों महासुओं के चारों वीर कफला वीर (बासिक महासू), गुडारु वीर (पबासिक महासू), कैलू वीर (बूठिया महासू) तथा शैडकुडिया वीर (चालदा महासू) के चार छोटे छोटे पौराणिक मन्दिर स्थित हैं।
इसी कक्ष में मन्दिर के पुजारी तथा अन्य पश्वा (वे लोग जिन पर महासू देवता अवतरित होकर भक्तों की समस्याओं का समाधान देते हैं) बैठा करते हैं। मन्दिर के इसी कक्ष में गर्भगृह के लिये छोटा सा दरवाजा है जिसके अन्दर केवल पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं। गर्भगृह के अन्दर भगवान शिव के प्रतिरूप महासू देवता की मूर्ति स्थापित है।
गर्भगृह में स्वच्छ जल की एक अविरल धारा बहती रहती है। मन्दिर में आये भक्तों को यह जल प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा इसी गर्भगृह में एक दिव्य ज्योत सदैव जलती रहती है।

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